बुधवार, 17 नवंबर 2010
प्रेम और पवित्रता
जहाँ प्रेम नहीँ, वहाँ शान्ति नहीँ हो सकती।
जहाँ पवित्रता नहीँ, वहाँ प्रेम नहीँ हो सकता।
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1 टिप्पणी:
awesome...
thank you so much...
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