कितना सरल है हमारा जीवन , कितना सहज है इस जीवन का सारा गणित कि सब कुछ अपने आप ही होता चला जाता है ।
सांसोँ का आना- जाना , पलकोँ का गिरना - उठना और शरीर की हर उस क्रिया का होना , जो हमारे अस्तित्व की रक्षा के लिए अनिवार्य है । सब कुछ आँटोमैटिक । यहाँ तक कि हमारे शरीर ने भी अपनी क्षमताएं अपनी जरूरत के अनुसार विकसित कर ली हैँ।
उसने आंखोँ को एक कोटर मेँ सुरक्षित रखा है ताकि चोट लगने पर यह फूटे नहीँ । यदि नाक और कान को शरीर के बाहरी हिस्से मेँ रखा , तो उसे लोचदार बना दिया ताकि आसानी से टूट ना जाए । मस्तिष्क , जो जीवन का आधार है उसे कपाल जैसे कठोर आवरण मेँ ढंककर रखा । सचमुच कितनी अद्भुत निर्मिति है - हमारा यह शरीर इस प्रकृति की । बेहद जटिल किँतु स्वचालित ।
[शेष अगले भाग मेँ]
बहुत ही सहजता से जीवन चिंतन प्रस्तूत कर दिया।
जवाब देंहटाएंसत्य वचन हैं। आभार।
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत में पहली बार एक ऐसा सामुदायिक ब्लॉग जो भारत के स्वाभिमान और हिन्दू स्वाभिमान को संकल्पित है, जो देशभक्त मुसलमानों का सम्मान करता है, पर बाबर और लादेन द्वारा रचित इस्लाम की हिंसा का खुलकर विरोध करता है. जो धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कायरता दिखाने वाले हिन्दुओ का भी विरोध करता है.
जवाब देंहटाएंइस ब्लॉग पर आने से हिंदुत्व का विरोध करने वाले कट्टर मुसलमान और धर्मनिरपेक्ष { कायर} हिन्दू भी परहेज करे.
समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे
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