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आप सचमुच किसी से प्रेम
करते हो या प्रेमी के साथ
रहना चाहते हो ;
तब आप एक दूसरे की
उपेक्षा मत करो।
इस तरह जियो कि अगला
एक नया व्यक्ति है और हर
रोज तुम्हेँ उसे रिझाना है,
मनाना है। एक दूसरे के
मालिक मत बनो।
आवेश और क्रोध को वश मेँ कर लेने से शक्ति बढ़ती है;
जब ये आवेश वश मेँ आ जाता है तो इसको आत्मबल मेँ बदला जा सकता है;